Monika garg

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लेखनी कहानी -12-Apr-2022 शोर्ट स्टोरी लेखन # आया (नैनी)

बात उन दिनों की जब मेरा छोटा बेटा बहुत बीमार हो गया था। उसको कई डॉक्टरों से दिखाया परन्तु उसको कही की दवाई नहीं लग रही थीं। आखिर में हम शहर के जाने माने हॉस्पिटल में उसे ले गए | 
 मै सुबह 10 बजे हॉस्पिटल पहुंची वैसे तो वहां 6 - 7 काउंटर थे लेकिन  बड़ा और मशहूर अस्पताल होने के  कारण  लोगो का ताँता लगा हुआ था। क्या गरीब क्या अमीर ? मैं एक काउंटर पर खड़ी होकर अपना नंबर आने का इंतजार कर रही थी। तभी मेरे पास वाली लाइन  पर एक औरत आयी महिला सभ्य लग रही थी परन्तु आधुनिकता के रंग में रंगी हुई थी। टाइट जीन्स ऊपर टॉप बालो को खुला छोड़ा था हाथ में  बड़ा सा पर्स  साथ एक छोटी सी 15 -16 साल की लड़की थी जिसने  एक सुंदर से गोल-मटोल बच्चे को गोद में उठा रखा था। बच्चा बीमार था उस महिला ने बच्चो के डॉक्टर की पर्ची बनवाई थी इतने में उस बच्चे ने उल्टी  कर  दी  उस महिला ने जोर से आया को डाँटा "आया तुम बच्चे को ठीक से नहीं संभाल सकती। " वह लड़की बेचारी घबरा गयी उसने तुरंत उस बच्चे  की उल्टी  अपने रूमाल से साफ कर  दी। तभी महिला बोली "सुनो! इसे [बच्चे को ]  मेरे से दूर रखो। मुझे ऑफिस जाना है सारे कपड़ो का सत्या  नाश कर  देगा जाओ पहले इसका मुंह धोकर लाओ। "  इतनी देर तक उस महिला ने नाक पर रुमाल लगाए रखा। वह  लड़की उस बच्चे का मुंह धोने चली गयी                                                                                                     हम दोनों की पर्ची बन गयी थी वो महिला मेरे आगे-आगे थी हम दोनों ने डॉक्टर के कमरे में रिसेप्शन पर बैठी  नर्स को पर्ची  जमा करवा दी उस महिला  का मेरे से पहले नंबर था। हम  से आगे 2  पेशेंट थे।  हम दोनों अपनी बारी का इंतजार करने लगी इतने मे वो लड़की [आया ] उस बच्चे को साफ सुथरा कर ले आयी। बच्चा  बीमारी की वजह से बहुत बेचैन  था। आया बेचारी उस बच्चे को घूम-घूम कर शांत करवाने की कोशिश कर रही थी। कभी उसको प्यार करती ,कभी छाती से लगाती ,कभी उसको बाहर लॉबी का चक्कर कटाती। बच्चा बहुत बेचैन था। इस  दौरान उस बच्चे की माँ ने एक बार भी बच्चे को नहीं देखा कि मेरा बच्चा इतना बेचेन क्यों है बस हाथ में फ़ोन लिए चैटिंग करती रही।                                                 इतने मे डॉक्टर की अंदर से घंटी बजी ' नेक्स्ट'  वो महिला अपना फोन बैग मे रख कर बच्चे की तरफ ऐसे झपटी जैसे बाज चिड़िया पर झपटता है। आया को बोली "ला इसे मुझे दे, मैं इसकी मम्मा हूँ   मैं दिखा कर लाती हूँ और सुन तू बहार खड़ी  रहना। " वह आया बेचारी बच्चे  को पुचकारती हुई मैम साहब  को देकर एक तरफ खड़ी  हो गयी। वो महिला बच्चे को लेकर अंदर चली गयी। डॉक्टर के रूम का दरवाजा हल्का सा खुला था वहां से मुझे अंदर  की बात-चीत साफ सुनाई दे रही थी डॉक्टर साहब उस महिला से पूछ रहे थे "आप के बेबी ने सुबह से क्या -क्या खाया है और कितनी बार उल्टी की।" हर  बार उस महिला का जवाब यही होता था "सर मुझे तो पता नहीं आया को पता है। " डॉक्टर ने खीज कर कहा "जिस को पता  है उनसे   पूछ कर बताइये ऐसे कैसे हम दवाई देंगे। " वो सभ्य माडर्न लुक महिला अपने बीमार बच्चे को गोद मे उठाना नहीं चाहा रही थी उसको उठाने से उसके कपड़े खराब हो जाते थे बच्चे  का सारा काम आया ही देखती थी। ऐसी महिला का मुंह देखने लायक था। वह डॉक्टर के रूम से बाहर आयी और बाहर

 खड़ी आया को बच्चा गोद मे देकर अंदर भेजा ताकि वह  सारी  बातें  बता सके कि बच्चे को क्या प्रॉब्लम है।                         मैं बाहर बैठी यही सोचती  रही  कि "आया इनमेें से कौन है.......... ?"       

 

जोनर # स्त्री विमर्श                                      


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9 Comments

Farida

05-May-2022 06:49 PM

Very nice

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Haaya meer

05-May-2022 06:10 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

05-May-2022 05:45 PM

बहुत ही खूबसूरत लिखा है मैम

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